बुधवार, 9 नवंबर 2011

20 पुलिस अधिकारियों एवं जवानों को विशिष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पलिस पदक

देहरादून 09 नवम्बर, 2011  उत्तराखण्ड की राज्यपाल श्रीमती मार्गे्रट आल्वा ने बुधबार को राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर पुलिस लाईन देहरादून में आयोजित पुलिस रैतिक परेड़ की सलामी एवं 20 पुलिस अधिकारियों एवं जवानों को विशिष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पलिस पदक, वीरता व सराहनीय सेवाओं के लिए पुलिस पदक प्रदान करने के पश्चात अपने सम्बोधन में कहा कि राज्य में अमन-चैन का वातावरण बनाए रखने में राज्य पुलिस के बहादुर जवानों की सेवायें राज्य की जनता के लिए कीमती हैं, जनता की अच्छी सेवा का उदाहरण पेश करने वाले पुलिस के इन जवानों की उपलब्धियां अन्य लोगों को भी अच्छे प्रदर्शन के लिए प्रेरित करेंगी।
उन्होंने कहा कि राज्य गठन के बाद 11 वर्षों की विकास यात्रा में प्रदेश मंे कई अच्छे कार्य हुए हैं। परन्तु इसके साथ-साथ, हमें कई चुनौतियों का सामना करना है। हमारी जी.डी.पी.ग्रोथ तीन प्रतिशत से बढ़कर लगभग 10 प्रतिशत हो गई है। विकास की इस दर को बनाए रखने तथा इसका लाभ  राज्य के आखिरी आदमी तक पहुँचाना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि राज्य में कुछ अच्छे स्कूल हैं। लेकिन राज्य के प्रत्येक बच्चे को अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है। राज्य बनने के बाद पिछले 10 वर्षों में राज्य की साक्षरता दर का 8 प्रतिशत बढ़ना खुशी की बात है। परन्तु इसी अवधि में बालिकाओं की संख्या में कमी होना चिंता का विषय है। राज्य का पूर्ण विकास, महिला-भागीदारी के बिना अधूरा है। इसलिये महिलाओं की सभी योजनाओं को सही प्रकार से लागू करना आवश्यक है, जिससे उनके जीवन की कठिनाईयों का बोझ कम हो सके।
उन्होंने कहा कि राज्य के लगभग 80 प्रतिशत लोगों का जीवन कृषि पर निर्भर है। हमें ऐसी कृषि नीति और योजनाएॅ बनानी होगी जिससे राज्य में कृषि की पैदावार बढ़ने के साथ-साथ किसानों की आमदनी भी बढ़ सके। राज्य में उद्योगों की स्थापना मैदानी क्षेत्रों तक सीमित है। पर्वतीय क्षेत्रों में उचित प्रकार के कुटीर उद्योगों से रोजगार पैदा करके, लगातार हो रहे पलायन को रोका जा सकता है। पर्यावरण तथा धार्मिक कारणों से राज्य में जल विद्युत परियोजनाए बंद हो रही है। राज्य की बढ़ती विकास दर को सतत् बनाये रखने के लिए हमें अपनी विद्युत उत्पादन क्षमता बढ़ानी होगी।
उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं। उत्तराखण्ड हमेशा से ही प्रकृति-प्रेमियों, साहसी खेलों में रूचि रखने वालों तथा धार्मिक पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा है। पर्यटन राज्य की आर्थिक विकास प्रगति में महत्वर्पूण भूमिका निभा सकता है। इसके लिए राज्य में बुनियादी सुविधाओं का  विकास एवं विस्तार  तेजी से किया जाना होगा।
उन्होेंने कहा कि ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक प्रस्तावित रेल लाईन पूर्ण होने पर न केवल गढ़वाल के दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों तक विकास होगा बलकि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। पहाड़ के लोगों को रोजगार मिलने में भी मदद होगी।
उन्होंने कहा कि राज्य मंे भ्रष्टाचार खत्म करने और आम आदमी को सरकारी सेवाओं में आ रही कठिनाइयों को दूर करने के लिए लोकायुक्त बिल, स्पेशल कोर्ट बिल, लोक सेवा अधिकार और वार्षिक पारदर्शी स्थानान्तरण अधिनियम पास हुए हैं, जिन्हें पूर्ण रूप से लागू कराना होगा। जनता की सक्रिय भागीदारी ही सरकार को जबावदेह बना सकती है। तभी, विकास का लाभ, राज्य के आखिरी आदमी तक पहुँच सकेगा।
इस अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री मे0ज0 (से.नि.) भुवन चन्द्र खण्डूरी, विधान सभा अध्यक्ष हरवंश कपूर, कृषि मंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री डा0 रमेश पोखरियाल 'निशंक', लोकायुक्त एम.एम.घिल्ड़ियाल, मुख्य सचिव सुभाष कुमार सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
 कार्यक्रम में विशिष्ठ सेवाओं के लिये राष्ट्रपति का पुलिस पदक पुलिस महानिरीक्षक, अनिल रतूड़ी, सेनानायक 46वीं वाहिनी पीएसी गणेश सिंह मर्तोलिया, अपर पुलिस अधीक्षक जसवंत सिंह, विशिष्ट उपलब्धियों के लिए महामहिम श्री राज्यपाल का उत्कृष्ट सेवा पदक सुरेन्द्र सिंह सामन्त थानाध्यक्ष सतपुली एवं सूर्यभूषण नेगी थानाध्यक्ष सहसपुर को दिये गये तथा वीरता के लिए तीन व सराहनीय सेवाओं के लिए 12 पुलिस अधिकारियों/कर्मचारियों को भी पुलिस पदक प्रदान किये गये।