प्रतिष्ठ में
माननीय मनमोहन सिंह
प्रधानमंत्री,
भारत सरकार,
नई दिल्ली
पिछले काफी समय से ईमानदार पत्रकारों के सामने अपने कतर्तव्य का निर्वहन करने में काफी दिक्कतें आ रही हैं। हाल ही में मिड डे के पत्रकार ज्यातिर्मय डे की हत्या ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कर्तव्यनिष्ठ पत्रकारों के कत्ल का जो सिलसिला शहीद उमेश डोभाल से शुरु हुआ था, वह रुका नहीं है और सरकारें भी पत्रकारों की सुरक्षा के सवाल पर न केवल हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं बल्कि अब तो जनता के सवालों को पूरी शिद्दत के साथ उठाने वाले पत्रकारों को फर्जी मुठभेड़ों में मारने और जेल भेजने का भी सिलसिला शुरु हो गया है।
स्व डे कर्तव्यनिष्ठ पत्रकारो के लिए एक बड़ा आदर्श बन कर उभरे हैं। पीडि़त परिवार की समुचित मदद कर केन्द्र सरकार अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभा सकती हैं। यह मौका उन अनेकों पत्रकारों के बारे में भी सोचने का है जो अपनी कलम से पत्रकारिता के उच्चतम मापदंड़ों की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं औऱ नित नए खतरों से खेलते रहते हैं।
अत: इस घटना पर अपना विरोध दर्ज कराते हुए हम मांग करते हैं कि --
1. जे डे के परिवार को एक करोड़ रुपये की सहयोग राशि मिले।
2. नई दुनिया रायपुर के पत्रकार उमेश राजपूत, दैनिक भास्कर बिलासपुर के पत्रकार सुशील पाठक और स्वतंत्र पत्रकार हेमचंद्र पाण्डेय समेत सभी उन पत्रकारों के परिजनों को एक - एक करोड़ रुपया मुआवजा मिले जिनकी हत्याएं हुई हैं।
2. पत्रकारों की सुरक्षा के खास प्रबंध हों।
3. किसी भी आपात स्थिति में पत्रकार की स्वाभाविक या अस्वाभाविक मृत्यु होने पर एक करोड़ रुपये की राशि बीमा कवच के रूप में पीडि़त परिवार को मिले।
4. दुर्घटना- वारदात के शिकार पत्रकारों के आश्रित अव्यस्क बच्चों को निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था हो।
5. पीडि़त परिवार के किसी एक वयस्क सदस्य के लिए सरकारी नौकरी की व्यवस्था हो। यदि परिवार में कोई वयस्क व्यक्ति नहीं है तो परिवार को पारिवारिक पेंशन दी जाए।
6. जनता के सवालों को पूरी शिद्दत से उठाने वाले पत्रकार प्रशांत राही, सीमा आजाद, सुधीर धवले और विश्वविजय को तत्काल रिहा किया जाए।
7. पत्रकार कपिल शर्मा की ग्यारह- बारह जून की रात्रि में अवैध हिरासत में रखने एवं थर्ड डिग्री का प्रयोग करने वाले दिल्ली के थाना तीमारपुर के एसएचओ एवं स्टाफ के विरुद्घ अपहरण एवं अवैध हिरासत में रखने का मुकदमा कायम किया जाए।
हम हैं प्रेस फ्रीडम के साथी