शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010

जनपक्ष का हमारा प्यारा कोओरडीनेटर रिकी

जनपक्ष आजकल एक ऐसी पत्रिका जिसने पूरे उत्तराखंड में तहलका मचाया। मैं शुरू से ही इस पत्रिका के साथ जुड़ गया था कारन था रामनगर से गणेश दा का फ़ोन आया था की जनपक्ष एक बड़ा मैगजीन है और तुम जरुर ज्वाइन करो। ओ पी पाण्डेय भाई भी इसी के लिए काम कर रहे हैं। हम बस पकड़ कर देहरादून होटल द्रोण में पहुँच गए। एक रूम में हम रुके सुबह एक मीटिंग थी और साथ में ही एक कॉर्पो रेट टाइप की पार्टी भी थी। इसी दौर में हमारा परचिय जनपक्ष के कोओरडीनेटर रिकी से भी कराया गया। पहली बार ऐसा लगा था की किसी हाउस में काम कर रहें हैं। रिकी को तब करीब से जाना जब जनपक्ष के शाश्त्री नगर गली नंबर चार हरद्वार रोड देहरादून पर पहुंचा। रिकी पूरी जनपक्ष की टीम में सबसे अलग था। सभी को ही ऐसा लगता था। वोह हमेशा मजाक के मूड में रहता था पर अपने काम के लिए काफी गंभीर रहता था। डेस्क के अंदर कभी कभार तू तू में में हो जाया करती थी जो हर एक बड़े संसथान में होती है। मुझे अच्छा नहीं लगता था पर रिकी बीच में आ कर चुटकी जरूर लेता था। और ऐसी मजाक करता था की सब तनातनी छोड़ कर फिर से सहज हो जाते थे। वोह भी ऐसे समय में जब सभी की चहेती पत्रिका का पाठक आशा लगाके रहता था की इस बार का अंक पिछले से भी अच्छा होगा। पर जब किसी भी बड़े संस्थान में माहोल सहज ना हो तो सर्जना भी अच्छी नहीं हो सकती और पाठकों को भी वोह नहीं मिल पाता जिसकी उमीद के साथ वोह अपने दस रुपए खर्च करतें हैं। माहोल सहज हो जाये तो ऐसी सर्जना के पड़ने वाले को दिल को छू जाये। रिकी को कोई कुछ भी कहे वोह बुरा नहीं मानता था वो हमेशा मुस्कराता रहता था शायद यह एक अच्छे कोओरडीनेटर की ड्यूटी होगी। उसकी बात का कोई बुरा नहीं मानता था। ठेठ गडवाली में "भाई साहिब प्रणाम" हिंदी में बोलता था। " में उसे प्यार से "रिकी दा ग्रेट" या "और रिकी डीअर" से ही बुलाता था। राजेन तोद्रिया जी कलम को नतमस्तक होए हुए सभी जनपक्ष के लिए दिन रात एक कर रहे थे। देहरादून से जनपक्ष छपवानी महंगी पड़ी तो नॉएडा में इम पी प्रिंटर्स पर प्रिंट करने का फैसला हुआ। इसी दौरान जनपक्ष डीटीपी डेस्क ने भी बड़ी सैलरी पर और कहीं काम शुरू कर दिया। अब तो रिकी को डी टी पी भी देखना था। मैंने रिकी को कोरेल ड्रा में काम करते हुए देखा तो पुछा की क्या कोरेल द्रव भी आता है। मजाक में बोला कोओरडीनेटर हूँ सब कुछ आना चाहिए। इसी समय में संतोष वर्मा ने जनपक्ष की डेस्क संभाली। हम वर्मा जी कह कर बात करते थे। रिकी कोई भी पेज तियार करता तो जरुर कहता वर्मा जी या अक्सर भाई साहिब देखना तो कैसा बना है। फिर वोह राजेन तोडरिया जी को दिखाता। डेड लाइन के दिन सभी की म्हणत बाद जाती। थापा जी और रिकी की ड्यूटी लगी की वोह तुरंत नॉएडा निकलें।
रिकी हमेशा अपने आप को जनपक्ष के निर्देशक के रूप में आंकता है उसकी दिन रात की मेहनत जनपक्ष के हर एक अंक को पिछले अंक से आगे निकल देती और धीरे धीरे जनपक्ष आजकल लोगो की चहेती पत्रिका बन गई थी। मुझे रिकी की मेहनत रंग लाती दिखी दे रही थी क्यों के में भी वर्मा जे और रिकी के साथ पेज तियार कराने में लग जाता था।
मेरा चुनाव ई टी वी में हो गया और में लखनऊ चला गया। पर जनपक्ष में दो लोगो को फ़ोन हमेशा करता था रिकी को और मनमीत रावत को। लखनऊ, लाकीम्पुर खीरी, पलिया, मेरठ, फर्रुखाबाद से भी में इन्हें फ़ोन जरुर करता था। मुझे पता चला की जनपक्ष के निर्देशक रिकी सहारा समय में डेस्क पर आ गए हैं और मनमीत रावत के साथ साथ कंचन नागर कोटि हिंदुस्तान में।
में भी फर्रुखाबाद से काशीपुर वापिस आ गया और अपने बिज़नस में ध्यान देने लगा लेकिन मनमीत और रिकी से बात होती रही। एक दिन अछंक में देहरादून जाने की सोची और में देहरादून पहुँच कर रात रुक गया। तोदरिया जी के दफ्तर में बैठ कर को फ़ोन मिलाया तो एक घर सदमा लगा। मनमीत ने बताया की रिकी हमें छोड़ कर चला गया है। उसका एक्सिडेंट हो गया है।
रिकी ने अपना एक विजटिंग कार्ड मुझे दिया था जिस पर उसने अपने हाथ से अपना मोबाइल नंबर लिख कर दिया था। वोह कार्ड हमेशा एक निशानी की तरह मेरे पर्स में रहा जो आज भी है। कुछ दिन पहले मैंने अचानक उस नंबर को अपने मोबाइल से मिलाया तो उस पर घंटी गई। आगे से फ़ोन उठा तो मैंने पुछा की क्या यह नंबर रिकी का है। " हाँ बेटा" शायद रिकी के किसी परिवार के मेम्बर की आवाज़ थी। मुझसे आगे कुछ नहीं बोला गया और सिर्फ इतना ही कह पाया "सॉरी अंकल" मैंने मोबाइल काट दिया।
अब जब भी में देहरादून को याद करता हूँ तो सबसे पहले रिकी की याद आती है। वोह रिकी जिसे में "रिकी दा ग्रेट" और "रिकी डीअर" कहा करता था।
कभी कभी मुझे लगता है के जनपक्ष जैसी पत्रिका का निर्देशक रिकी मुझे देहरादून आने के लिए कह रहा है। एक ऐसा निर्देशक जिसका हर एक अंक सुपर हिट होता था।
मैंने ऑरकुट पर सर्च किया तो रिकी जनपक्ष का प्रोफाइल मिला मैंने स्क्रैप किया
"रिकी तू हमेसा हमारे साथ है"

प्रेम अरोड़ा
काशीपुर
9012043100
9837793421
prem.voi@gmail.com

1 टिप्पणी:

  1. hi, Mr. Prem ji main Ashish Mishra Form Farrukhabad..........aaj bade dinon bad net par aapka blog dikh gaya to socha chalo samprak kiya jaye. aur kaise hain ? kya chal raha hai aajkal?

    Ashish Mishra
    http://apneebat.blogspot.com

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