मंगलवार, 25 जनवरी 2011

काशीपुर के प्रसिद्ध तीर्थ दरोंगा सागर को बचाने के लिए आगे आयें।


काशीपुर का मुख तीर्थ स्थल और दर्शनीय सथालों में से एक है तीर्थ द्रोण सागर। काशीपुर यानी गोविशान के समय से ही यह प्रसिद्ध स्थान है। कहा जाता है कि पांडवों ने अगत्वास के समय यहाँ पर रह कर अपने गुरु द्रोण चार्य से निशानेबाजी को सीखा था। इस सम्बन्ध में अनेक प्रमाण मिलते है। इस स्थान पर पहले कभी बहुत ही चहल पहल हुआ करती थे। एक व्याम्शाला थी जिसमे लोग सुभाह सुबह व्यायाम करते थे पर सागर में पानी रहता था एक तालाब था जिसमें पानी रहता था।
पर आज जब आप द्रोण सागर को देखोगे तो आपको दुःख होगा कि क्या यह वोही द्रोण सागर है जो इतिहासिक है। इस समय इसका बुरा हाल है। यहाँ पर अब सिर्फ भीसींडे ही उगाये जा रहे हैं। पुरने से पुराने मंदिर नहस हो रहे हैं। कोई पूछने वाला नहीं। हाँ किसी के दसवें या पीपल पानी में जब लोग इकठे होते हैं तो इस द्रोगना सागर की दयनीय हालत पर चर्चा जरूर करते हैं पर आज के भोतिक यूग में शायद अपनी पुराणी धरोहर को बचने का हमारा पास समय ही नहीं बचा। अगर हम प्रदेश की इस तरह की अमूल्य धरोहर को खोते जायेंगे तो हम खुद ख़तम हो जायेंगे। वैसे भी किसी कौम को मरने के लिए उसकी बोली और उसके बचे हुए चिन्हों को ख़तम कर देने से कौम खुद ही ख़तम हो जाती है। आपसे विनम्र अनुरोध है के काशीपुर के प्रसिद्ध तीर्थ दरोंगा सागर को बचाने के लिए आगे आयें।
प्रेम अरोड़ा
सुनील जोशी

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