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काशीपुर: उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत्येंद्र प्रसाद मिश्र ने कहा कि उनका प्रयास होगा कि अनुसंधान की दृष्टि से विज्ञान की विविध विधाओं के साथ सामंजस्य बनाकर आयुर्वेद के मूलभूत सिद्धांतों पर अनुसंधान की नई दिशा स्थापित की जाए।
प्रो. मिश्र तारावती सरोजनी देवी विद्या मंदिर इंटर कालेज में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रहा है। शाश्वत परंपराएं ऋषि-मुनियों की साधना के आधार पर विकसित हुई हैं। प्रदेश जड़ी-बुटियों के हिसाब से संपन्न है, जिनकी विश्व स्तर पर मान्यता हो चुकी हे। विकास के बावजूद बहुत सी व्याधियां ऐसी हैं जिनका समाधान विकसित चिकित्सा प्रणाली भी नहीं दे पा रही हैं। दिनचर्या को नियंत्रित कर बहुत सी व्याधियों से मुक्ति पाई जा सकती है। विवि के लिए देहरादून के पास हर्रावाला में 30 एकड़ भूमि प्राप्त हो गइ्र है। शीघ्र शिलान्यास किया जाएगा। विवि में पढ़ाई-लिखाई, अनुसंधान के साथ 300 बेड का चिकित्सालय चलाया जाएगा। विवि का प्रयास होगा कि जड़ी-बूटियों व उनसे इलाज करने वाले वैद्यों के बारे में सूचनाओं का एकीकरण कर उन द्रव्यों की पहचान की जाए। फिर वैज्ञानिक अनुसंधान कर विज्ञान की दृष्टि से मान्यता देकर उनका औषधि के रूप में प्रयोग किया जाएगा।
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