मंगलवार, 17 मई 2011

पंतनगर लाही एवं सरसों की उत्पादकता में वृद्धि हेतु राष्ट्रीय बैठक का आयोजन

पंतनगर। 17 मई, 2011। पंतनगर विष्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय के सभागार में आज पंतनगर के लाही-सरसों अनुसंधान समूह के द्वारा लाही-सरसों अनुसंधान निदेषालय, भरतपुर एवं भारतीय  कृषि अनुसंधान परिषद्, नयी दिल्ली द्वारा चलायी जा रही अखिल भारतीय लाही-सरसों समन्वित शोध परियोजना के तत्वावधान में 'भारत के क्षेत्र द्वितीय एवं तृतीय में लाही-सरसों की उत्पादकता में वृद्धि' विषय पर दो-दिवसीय राष्ट्रीय मस्तिष्क मंथन बैठक का आयोजन किया गया। बैठक के उद्घाटन सत्र् में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के सहायक महानिदेषक (फसल विज्ञान), डा. बी.बी. सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। सत्र की अध्यक्षता विष्वविद्यालय के कुलपति, डा. बी.एस. बिष्ट ने की। राष्ट्रीस सरसों अनुसंधान निदेषालय, भरतपुर के निदेषक, डा. जे.एस. चौहान भी मंच पर उपस्थित थे। तिलहन वैज्ञानिकों ने लाही-सरसों की उत्पादकता एवं गुणवत्ता में वृद्धि हेतु संकर प्रजातियों, रोग रोधी एवं कीट रोधी तथा अधिक उपज देने वाली प्रजातियों के विकास पर विषेष बल दिया। सम्मेलन में विभिन्न राज्यों से आये हुए लगभग 50 वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कुलपति डा. बिष्ट ने तिलहन अनुसंधान एवं उत्पादन में विष्वविद्यालय के योगदान पर प्रकाष डाला तथा विष्वविद्यालय के तिलहन कार्यक्रम से सम्बद्ध वैज्ञानिकों एवं कार्यकर्ताओं के प्रयासों पर प्रषंसा एवं संतुष्टि व्यक्त की। उन्होंने उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में लाही-सरसों उत्पादन को समुचित स्तर तक ले जाने के लिए इस क्षेत्र में तिलहन अनुसंधान के उपकेन्द्र की स्थापना को आवष्यक बताया।
मुख्य अतिथि डा. बी.बी. सिंह ने फसल सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत नवीनतम तकनीकों के प्रयोग द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में लाही-सरसों में प्राप्त हो रही उत्पादकता के अंतर को समाप्त करने पर बल दिया।
डा. जे.एस. चौहान ने राजस्थान में लाही-सरसों के बढ़ते हुए क्षेत्रों एवं उत्पादन पर संतुष्टि व्यक्त करते हुए दूसरे प्रमुख राज्यों, मुख्य रूप से उत्तर प्रदेष, में आने वाले क्षेत्र में विगत वर्षों में आयी हुई गिरावट पर चिन्ता व्यक्त की तथा इस बारे में नवीन रणनीति बनाने पर बल दिया। उन्होंने वैज्ञानिकों से लाही-सरसों की आनुवांषिक क्षमता में वृद्धि लाने के लिए कहा एवं सरकार द्वारा लाही-सरसों के समर्थन मूल्य में वृद्धि को राष्ट्रीय विकास के लिए आवष्यक बताया।
उद्घाटन सत्र के अंत में पंतनगर के तिलहन कार्यक्रम के समन्वयक, डा. आर.पी. अवस्थी द्वारा कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आयोजित करने के लिए सभी वैज्ञानिकों, अधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम के आयोजन में विष्वविद्यालय के निदेषक अनुसंधान, डा. महेष कुमार एवं पंतनगर केन्द्र के तिलहन वैज्ञानिक, डा. राम भजन, डा. सी.पी. सिंह, डा. ए.के. तिवारी, डा. अनिल शुक्ला, डा. ऊषा भट्ट, डा. हिमांषु, इत्यादि ने अभिन्न योगदान दिया।

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